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वीरेंद्र चट्ठा द्वारा लिखित उपन्यास

सूरज की तलवार

जाट हृदय सम्राट भरतपुर नरेश महाराजा सूरजमल के पराक्रम के समक्ष समग्र विश्व के योद्धाओं की गौरव गाथाएं एकदम फीकी हैं। इसमें जरा बराबर भी अतिशयोक्ति नहीं है कि महाराजा सूरजमल का जिससे भी युद्ध हुआ, उसे उनकी तलवार की चमक के सम्मुख नतमस्तक होना पड़ा।

अहमदशाह अब्दाली जैसा दुर्दांत लुटेरा, जिसने दिल्ली की चार लाख की सेना और ढाई लाख सैनिकों से सुसज्जित मराठा सेना को मात्र चार घण्टे में पराजित कर दिया था, वह भी महाराजा सूरजमल की तलवार की धार से डरकर गया था।

प्रस्तुत उपन्यास आधारित है एक घटना पर, जब सूरजमल की तलवार की चमक ने एक बार में सात-सात योद्धाओं तक को झुकने के लिए विवश कर दिया था।

suraj ki talwar