सच्चे जाट नायक चौ राजमहेन्द्र सिंह (Raj Mahendra Singh – former ACP, Delhi Police)

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Raj Mahendra Singh – former ACP Delhi Police – उ. प्र. के जनपद मेरठ अंतर्गत आने वाला बढ़ला गाँव जाट बिरादरी का अति महत्वपूर्ण गाँव है. यह गाँव दो गांवों से मिलकर बना है. इनमे से बढ्ला-8 गाँव ऐतिहासिक गाँव है. इस गाँव के  बांकुरा गोत्रीय श्री राजमहेन्द्र सिंह मेरठ जनपद के ही नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तेर प्रदेश की सम्पूर्ण जाट बिरादरी के अति सम्मानित व महत्वपूर्ण व्यक्तियों की श्रेणी में आते हैं। श्री राजमहेन्द्र सिंह दिल्ली पुलिस में सहायक पुलिस आयुक्त जैसे अति महत्वपूर्ण पद पर अपनी अति विशिष्ट सेवाओं से बहुचर्चित रहे हैं।

Raj Mahendra Singh : former ACP, Delhi Police

बढ़ला-8 गांव निवासी स. झग्गड़ सिंह और श्रीमती खजान कौर के वरिष्ठ पुत्र के रूप में 27 दिसम्बर 1938 को जन्मे राजमहेन्द्र सिंह (Raj Mahendra Singh-Former ACP, Delhi Police) ने युवाओं के समक्ष एक मिसाल कायम की. जिस समय बारहवीं तक की शिक्षा लेने वाला युवा भी बड़ी नौकरी खोजता था, उस समय श्री राजमहेन्द्र सिंह ने एम ए तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी पुलिस में साधारण सिपाही पद की नौकरी करने का उदाहरण प्रस्तुत किया. उन्होंने दिल्ली पुलिस में एक साधारण सिपाही के रूप में सेवा आरम्भ की और अपने विशिष्ट बुद्धि कौशल व विवेक-चातुर्य के बल पर दिल्ली पुलिस में सहायक पुलिस आयुक्त के अति महत्वपूर्ण पद तक पहुंचे। इस प्रकार उन्होंने यह सिद्ध कर दिया की योग्य व्यक्ति साधारण हालात में भी असाधारण योग्यता प्रदर्शित कर सकता है.

गौरवपूर्ण रहा है चौ. राजमहेन्द्र सिंह का कार्यकाल

चौ. राजमहेन्द्र सिंह ने दिल्ली पुलिस में साधारण सिपाही से लेकर सहायक पुलिस आयुक्त तक के पदों पर पुलिस विभाग की सेवा की. उन्होंने इंसपेक्टर के रूप में दिल्ली पुलिस के कई अति महत्वपूर्ण और संवेदनशील थानों व विभागों के प्रभारी एवं तत्पश्चात सहायक पुलिस आयुक्त के रूप में कानून व्यवस्था की ऐसी मिसाल स्थापित की कि आज तक दिल्ली पुलिस में उनके विशिष्ट कार्यों की गूंज सुनायी देती है। उनके अपराध अन्वेषण का तरीका अत्यंत ही रोचक व् सबसे अनोखा होता था. अपराध अन्वेषण की अपनी अद्भुत व् विशिष्ट शैली के कारण चौ. राजमहेन्द्र सिंह दिल्ली पुलिस विभाग में सदा चर्चा में रहते थे.

राष्ट्रपति और गृहमंत्री ने किया है राजमहेंद्र सिंह को सम्मानित

आपराधिक मामलों को अन्वेषण करने की उनकी विशिष्ट शैली की गूंज देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केन्द्रीय गृहमंत्री और दिल्ली के उपराज्यपाल तक पहुंची और उन सबने उनकी मेधा का सम्मान करते हुए उन्हें 600 से अधिक सेव मैडल प्रदान किये.  चौ. राजमहेन्द्र सिंह को उपरोक्त महानुभावों के हाथों से अनेकों बार  प्रमाण-पत्र और पुरुस्कार मिले थे। दिल्ली पुलिस के इतिहास में चौ. राजमहेन्द्र सिंह पहले व्यक्ति रहे हैं जिनको इतनी बड़ी संख्या में मैडल और पुरुस्कार मिले हैं। दिल्ली पुलिस में अनेकों उच्च पदों पर आसीन रह चुकीं आईपीएस किरण बेदी, जब दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर आसीन हुईं, तो उन्होंने चौ. राजमहेन्द्र सिंह को अपना ओएसडी नियुक्त किया था। जब तक वह दिल्ली की उपराज्यपाल रहीं,  चौ. राजमहेन्द्र सिंह ही उनके ओएसडी रहे।

पर्यावरण प्रेमी  चौ राजमहेन्द्र सिंह

दिल्ली पुलिस की 10वीं बटालियन के आर आई के रूप में चौ. राजमहेन्द्र सिंह ने 1982 में बटालियन प्रांगण के चारों ओर कई हजार वृक्षों का वृक्षारोपण कराया था, जो आज विशाल रूप धारण कर समस्त क्षेत्र के पर्यावरण को शुद्ध बना रहे हैं। चौ. राजमहेन्द्र सिंह के इस कार्य से प्रेरणा पाकर क्षेत्र के अनेकों लोगों ने वृक्षारोपण को अभियान के रूप में आरम्भ किया था। इसके बाद उन्होंने इंसपेक्टर विजीलेंस व दिल्ली के कई थानों: यथा थाना अलीपुर, थाना टाऊन हाल व थाना सदर बाजार के थाना प्रभारी के रूप में जो जनसेवा की, उसकी उन क्षेत्रों के निवासियों द्वारा आज तक मिसाल दी जाती है।

सुलझाए कई अनसुलझे केस

चौ. राजमहेन्द्र सिंह 1982 में दिल्ली पुलिस में इंसपेक्टर पद पर प्रोन्नत हुए और 1994 में वे सहायक पुलिस आयुक्त नियुक्त हुए। होमीसाइड शाखा के प्रभारी और फिर सहायक पुलिस आयुक्त के रूप में चौ. राजमहेन्द्र सिंह ने अनेकों शातिर हत्यारों का पर्दाफाश कर उनको गिरफ्तार किया। 65 हत्याओं के आरोपी विनोद बावला,  मासूम बच्चियों का यौन शोषण कर उनकी हत्याएं कर देने वाले तांत्रिक रामप्रसाद के अतिरिक्त अनेकों ऐसे मामले थे, जिन्होंने दिल्ली पुलिस के कई विभागों को तिगनी का नाच नचा दिया था. दिल्ली पुलिस की कई एजेन्सियाँ जिन रहस्यमय हत्याकांड मामलों में फेल हो गयी थी, उनको चौ. राजमहेन्द्र सिंह ने अपने विवेक से चुटकियों में सुलझा सुलझा दिया था. वर्ष 1984 में इन्दिरा गांधी  हत्याकाण्ड के समय समग्र दिल्ली में सिखों के विरुद्ध भड़की हिंसा के समय चै. राजमहेन्द्र सिंह अलीपुर में थाना प्रभारी पद पर कार्यरत थे। उस समय उन्होंने अपने बुद्धि-चातुर्य से क्षेत्र भर के सिखों की जीवन रक्षा की थी। उनके क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति का साहस नहीं हुआ था कि वह सिखों की तरफ आंख उठाकर भी देख सकता.

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रिटायरमेंट का शब्द उनकी डिक्शनरी में नहीं है

चौ. राजमहेन्द्र सिंह साल 1994  में सहायक पुलिस आयुक्त पद पर प्रोन्नत हुए और 1997 में सेवानिवृत्त हुए।  दिल्ली पुलिस से सहायक पुलिस आयुक्त पद से सेवानिवृत्त होने के बाद श्री राजमहेन्द्र सिंह एचडीएफसी, आई सी आई सी आई, एसबीआई, सिटी बैंक व एटीएम संचालित करने वाली कम्पनियों के लीगल एडवाइजर के रूप में कई वर्ष तक सक्रिय रहे। इस दौरान चौ. राजमहेन्द्र सिंह ने कई बड़े फ्राड मामलों का पर्दाफाश किया। चौ राजमहेन्द्र सिंह पंजाबी जाट सभा, दिल्ली-एनसीआर के दस वर्ष तक अध्यक्ष रहे हैं। सम्प्रति वह पंजाबी जाट सभा के आजीवन चेयरमैन हैं।

आपसी वैमनस्य के बीजों को कुचल रहे हैं चौ राजमहेन्द्र सिंह

सेवानिवृत्ति के बाद चौ. राजमहेन्द्र सिंह ने आराम नहीं किया. थकना तो जैसे उन्होंने सीखा ही नहीं. दिल्ली पुलिस से सेवा निवृत्ति के तत्काल बाद चौ. राजमहेन्द्र सिंह पूर्णकालिक समाज समाज में पसरे आपसी वैमनस्य को मिटाने का अभियान चलाने में जुट गए. उनके प्रयास से पंजाबी जाट समाज के कई ऐसे उलझे मामलों को सुलझाने में सहायता मिली है, जिनके कारण समाज में न जाने कितने वर्षों के लिए वैमनस्य के कभी न काटे जा सकने वाले बीज बोये जा सकते थे और न जाने समाज का कितना धन पुलिस और वकीलों के मार्ग से अपव्वय हो जाता।

समाज की परम्पराओं को आगे बढ़ा रहा है उनका परिवार

चौ. राजमहेन्द्र सिंह की शादी 1966 में श्रीमती प्रेम के साथ हुई। इस दम्पत्ति के एक पुत्री गुरजन्त कौर व दो पुत्र-हरेन्द्र सिंह व गुरुदेव सिंह हुए। वर्तमान में चै. राजमहेन्द्र सिंह के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा के अतिरिक्त उनके दो पुत्र, उनकी पत्नियां, दो पोते व दो पोतियां हैं।
चौ. राजमहेन्द्र सिंह जाट समाज के लिए सदा पूर्ण रूप से समर्पित रहे हैं। वह जाट समाज की अभिवृद्धि के लिए सदा अग्रसर रहे हैं। इसलिए उनको जाट नायक कहा जाता है। दिल्ली पुलिस में सेवाएं देते समय उन्होंने दिल्ली पुलिस व एमसीडी आदि विभागों में अनेकों जाट युवकों को नौकरी दिलवाकर जाट समाज को समृद्धि की राह दिखाई है। उनके इस यागेेदान के कारण आज अनेकों परिवार न केवल स्वयं सुखी जीवन बिता रहे हैं, अपितु उनकी अगली पीढ़ियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपना भविष्य संवार रही हैं।

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